India News Delhi (इंडिया न्यूज), Cyber Fraud: साइबर अपराधियों ने पार्सल में ड्रग्स होने का झांसा देकर भारतीय रेलवे से रिटायर्ड जनरल मैनेजर (GM) को 52 लाख 50 हजार रुपये की ठगी का शिकार बना लिया। आरोपियों ने उन्हें 24 घंटे में उनके खाते से पैसे ट्रांसफर करवाए। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
नोएडा सेक्टर-76 स्थित आम्रपाली सिलिकॉन सोसाइटी के निवासी 69 वर्षीय प्रमोद कुमार ने पुलिस को बताया कि नौ मई को उनके मोबाइल पर एक रिकॉर्डेड मैसेज आया। इसमें कहा गया कि उन्होंने एक पार्सल भेजा है, जो अब तक डिलीवर नहीं हुआ। ज्यादा जानकारी के लिए उनसे मोबाइल पर एक नंबर दबाने के लिए कहा गया। ऐसा करने पर कॉल एक अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर हो गई। उस व्यक्ति ने बताया कि प्रमोद द्वारा भेजा गया पार्सल ताइवान कस्टम विभाग ने सीज कर लिया है, जिसमें कई आपत्तिजनक सामग्री पाई गई हैं।
प्रमोद ने जब कॉलर से कहा कि उन्होंने ताइवान के लिए कोई पार्सल नहीं भेजा है, तो जालसाजों ने उनका आधार और मोबाइल नंबर मांगा। जालसाज ने बताया कि जिस पार्सल की बात हो रही है, उसमें प्रमोद का आधार कार्ड और मोबाइल नंबर ही इस्तेमाल किया गया है। पार्सल में 100 ग्राम ड्रग्स, चार किलो कपड़े, चार पासपोर्ट और तीन क्रेडिट कार्ड पाए गए हैं। इसके बाद कॉलर ने उन्हें मामले की शिकायत करने के लिए एक नंबर दिया, जिसे मुंबई क्राइम ब्रांच का बताया गया।
प्रमोद ने दिए गए नंबर पर कॉल किया तो फोन उठाने वाले ने कुछ समय के लिए कॉल होल्ड पर रखने को कहा। इसके बाद उसने प्रमोद के मोबाइल पर मुंबई पुलिस का एक आईकार्ड भेजा, जो नरेश गुप्ता बनर्जी के नाम से था। जालसाज ने प्रमोद से कहा कि उनके केवाईसी की जानकारी विभिन्न शहरों के बैंकों में खोले गए खातों में इस्तेमाल की गई है और इन खातों का सीधा संबंध मनी लॉन्ड्रिंग केस से है।
जालसाजों ने बताया कि प्रमोद की बैंक डिटेल का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी गतिविधियों में किया गया है, जिनका संबंध दाऊद और नवाज मलिक के गिरोह से है। इसके बाद प्रमोद को वीडियो कॉल पर आने के लिए मजबूर किया गया। वीडियो कॉल में दूसरी तरफ से सिर्फ मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच का लोगो दिख रहा था। जालसाज ने प्रमोद के बैंक खाते की पूरी जानकारी ली और मोबाइल पर CBI का एक फर्जी लेटर भेजा। फिर प्रमोद से लगभग 24 घंटे में 52.50 लाख रुपये ठग लिए। इन 24 घंटों में प्रमोद को सोने भी नहीं दिया गया।
डिजिटल अरेस्ट एक नई ब्लैकमेलिंग तकनीक है। इसमें साइबर अपराधी वीडियो कॉलिंग के जरिए पीड़ित को घर में बंधक बना लेते हैं और हर वक्त उस पर नजर रखते हैं। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में ठग खुद को किसी सरकारी एजेंसी या पुलिस अफसर के रूप में पेश करते हैं। वे कहते हैं कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड, या बैंक खाता किसी गैरकानूनी गतिविधि में इस्तेमाल हुआ है। गिरफ्तारी का डर दिखाकर वे पैसे ऐंठ लेते हैं।
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