Delhi

Delhi High Court: सफाई कर्मचारी को 30 लाख देने के आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार ने किया हाईकोर्ट का रुख, जानें क्या है मामला

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi High Court: दिल्ली सरकार ने न्यायाधीश के एक आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल, वर्ष 2017 में एक सफाई कर्मचारी की अपने हाथों से मैला ढोने के दौरान मौत हो गई थी। कोर्ट ने सफाई कर्मचारी की विधवा को 30 लाख रुपये का बढ़ा हुआ मुआवजा देने का निर्देश दिया। दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि तत्कालीन सरकारी आदेश के अनुसार विधवा को उसी महीने 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था, जिस महीने उसके पति की मौत हुई थी।

कोर्ट ने विधवा से मांगा जवाब

वहीं, सरकार की अपील पर कोर्ट ने मृतक की विधवा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही सरकार को छह सप्ताह के भीतर बढ़ा हुआ मुआवजा देने को कहा है।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ को अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने बताया कि तत्कालीन सरकारी आदेश के अनुसार महिला को पति की मौत के बाद उसी महीने 10 लाख रुपये का मुआवजा दे दिया गया था।

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मैला ढोने वाले पीड़ितों के आश्रितों को 30 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश देने वाला सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन पर लागू नहीं होना चाहिए। वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने हाईकोर्ट में दलील दी कि चूंकि मुआवजा राशि सरकारी खजाने से जाती है। इसलिए सरकारी आदेश के बाद जब 10 लाख रुपए मुआवजा दिया जा चुका है तो इस मुद्दे को यहीं खत्म कर देना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने कहा कि आप बढ़ी हुई मुआवजा राशि का भुगतान करें।

कोर्ट ने 6 सप्ताह में राशि देने का आदेश दिया

हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वह मृतक की विधवा को छह सप्ताह के भीतर बढ़ी हुई मुआवजा राशि दे। यह देखते हुए कि मैला ढोने वाले लंबे समय से बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं, व्यवस्थित रूप से अमानवीय परिस्थितियों में फंसे हुए हैं, सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में केंद्र और राज्य सरकारों से पूरे देश में मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने को कहा था। इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों से सीवर की सफाई करते समय मरने वालों के परिजनों को 30 लाख रुपए मुआवजा देने को कहा था।

2023 में बढ़ाई गई थी मुआवजा राशि

याचिकाकर्ता महिला के पति की 6 अगस्त 2018 को सीवर के अंदर काम करते समय जहरीली गैस के कारण मौत हो गई थी। याचिकाकर्ता ने एकल न्यायाधीश की अदालत से कहा था कि उसे पहले ही 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 30 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी जानी चाहिए।

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Nidhi Jha

Journalist, India News, ITV network.

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