India News Delhi(इंडिया न्यूज़),Delhi Jal Board case: दिल्ली जल बोर्ड घोटाले में सीएम अरविंद केजरीवाल आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश नहीं होंगे। आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया है कि जब कोर्ट से जमानत मिल गई है तो ईडी उन्हें बार-बार क्यों भेज रही है। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि ईडी का समन गैरकानूनी है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि बीजेपी ईडी के पीछे छिपकर चुनाव क्यों लड़ना चाहती है?
Delhi CM and AAP National Convenor Arvind Kejriwal will not appear before ED today. When there is bail from the court, why is ED sending summons again and again? ED summons are illegal: AAP
He was issued summons by ED under section 50 of the Prevention of Money Laundering Act in…
— ANI (@ANI) March 18, 2024
मालूम हो,दिल्ली जल बोर्ड मामले में अरविंद केजरीवाल को 18 मार्च को ईडी कार्यालय में उपस्थित होने और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया था। वहीं, ईडी ने आबकारी नीति मामले में भी केजरीवाल को 9वां समन जारी किया। एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत दर्ज यह दूसरा मामला है, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को तलब किया गया है।
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दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच को मिली शिकायत के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड ने अपने उपभोक्ताओं के बिल कलेक्शन की जिम्मेदारी कॉरपोरेशन बैंक को दी थी। इसके लिए साल 2012 में बैंक से 3 साल के लिए अनुबंध किया गया था. बाद में इसे वर्ष 2016, फिर 2017 और 2019 तक बढ़ा दिया गया। उपभोक्ताओं के नकद और चेक के लिए जल बोर्ड के स्थानीय कार्यालयों में ई-कियोस्क मशीनें लगाई गईं ताकि उपभोक्ता अपने पानी के बिल का भुगतान जमा कर सकें।
एसीबी सूत्रों के मुताबिक, कॉर्पोरेशन बैंक ने कैश और चेक कलेक्शन की जिम्मेदारी मेसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी थी। उसे यह पैसा सीधे दिल्ली जल बोर्ड के खाते में जमा करना था, लेकिन इस कंपनी ने चेक और कैश इकट्ठा कर लिया। ई-कियोस्क मशीन लगाकर फेडरल बैंक के खाते में जमा करा दिया। फेडरल बैंक के जिस खाते में मेसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड ने पैसे जमा किए वह मेसर्स ऑरम ई-पेमेंट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर था।
इसके बाद जिस फेडरल बैंक के खाते में पैसा जमा किया गया था, वहां से आरटीजीएस के माध्यम से अलग-अलग तारीखों में पैसा ट्रांसफर किया गया, लेकिन पैसा जल बोर्ड के खाते में ट्रांसफर करने के बजाय कहीं और ट्रांसफर कर दिया गया। साल 2019 में दिल्ली जल बोर्ड को इस फर्जीवाड़े का पता चला। लेकिन जल बोर्ड ने अपना पैसा वसूलने के बजाय कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू कर दिया। चेक और नकद संग्रहण का शुल्क 5 रुपये प्रति बिल से बढ़ाकर 6 रुपये कर दिया गया।
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