India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi Nursing Homes: हाल ही में जारी की गई सूची के अनुसार, कई नर्सिंग होम बिना लाइसेंस के चल रहे हैं और हर स्तर पर गड़बड़ियां हो रही हैं। जांच में पता चला कि कई नर्सिंग होम के लाइसेंस एक से चार साल पहले खत्म हो चुके हैं, फिर भी वे बेधड़क काम कर रहे हैं।
देश की राजधानी में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। नर्सिंग होम संचालकों से लेकर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) के अधिकारियों तक, किसी को भी इस बात की परवाह नहीं है कि उनकी लापरवाही से किसी की जान पर बन सकती है। दैनिक जागरण के संवाददाता ने जब डीजीएचएस से हाल में खत्म हो चुके लाइसेंस वाले नर्सिंग होम की सूची मांगी और उसकी पड़ताल की, तो हर जगह गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।
जांच में यह सामने आया कि कई नर्सिंग होम बिना लाइसेंस के ही चल रहे हैं, जबकि कई नर्सिंग होम ऐसे हैं जिनके लाइसेंस एक से चार साल पहले समाप्त हो चुके हैं। वे नवीनीकरण के आवेदन का सहारा लेकर अपनी सेवाएं जारी रखे हुए हैं।
इसके अलावा, कई नर्सिंग होम अपने लाइसेंस की प्रति डिस्प्ले नहीं कर रहे हैं। कुछ नर्सिंग होम ऐसे भी पाए गए जो लाइसेंस पर दर्ज नाम के बजाय उससे मिलते-जुलते दूसरे नाम से चल रहे हैं। इस मुद्दे पर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) की निदेशक डॉ. वंदना बग्गा से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन और व्हाट्सएप पर कोई जवाब नहीं दिया।
पूर्वी दिल्ली के करावल नगर के पास वजीराबाद रोड पर स्थित चांद बाग में सत्यमैक्स अस्पताल संचालित हो रहा है। इस अस्पताल के बोर्ड पर मल्टीस्पेशियलिटी लिखा है, यानी इसमें कई प्रकार के विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं उपलब्ध हैं। लेकिन, डीजीएचएस के नर्सिंग होम सेल द्वारा जारी किसी भी सूची में इस अस्पताल का नाम दर्ज नहीं मिला। अस्पताल के अंदर भी लाइसेंस रजिस्ट्रेशन की कोई प्रति नहीं दिखी।
अस्पताल के संचालक डॉ. एसपी सिंह से संपर्क किया गया, जो उस समय अस्पताल में मौजूद नहीं थे। फोन पर बात करने पर उन्होंने बताया कि वे इस अस्पताल को तीन साल से चला रहे हैं और लाइसेंस के लिए आवेदन किया हुआ है। डीजीएचएस ने फायर एनओसी न मिलने की वजह से लाइसेंस नहीं दिया है। फायर एनओसी के लिए अस्पताल की संरचना में बदलाव करने को कहा गया है, लेकिन नर्सिंग होम संचालकों की एसोसिएशन का इस मुद्दे पर एक केस न्यायालय में विचाराधीन है, और वे उसी के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि बिना लाइसेंस के नर्सिंग होम कैसे चालू हो सकता है, तो उन्होंने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया।
यमुना विहार स्थित सामरा अस्पताल भी बिना लाइसेंस के चल रहा है। संचालक डॉ. अब्दुल कादिर खान ने बताया कि अस्पताल को 2008 में लाइसेंस मिला था, लेकिन जुलाई 2017 से मार्च 2020 तक यह एशियन सामरा मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के नाम से चला। जून 2022 में 10 बेड के साथ फिर से सामरा अस्पताल के नाम से लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया, जो अभी लंबित है। डॉ. कादिर का कहना है कि डीजीएचएस की लापरवाही के कारण दो साल में भी लाइसेंस जारी नहीं हुआ है।
DGHS के नर्सिंग होम सेल ने पांच मई को दिल्ली के 1183 नर्सिंग होम की सूची जारी की थी। इस सूची में 340 नर्सिंग होम ऐसे हैं, जिनका लाइसेंस मार्च 2020 से मार्च 2024 के बीच समाप्त हो चुका है। विवेक विहार का बेबी केयर न्यू बोर्ड अस्पताल भी इस सूची में शामिल है। इन सभी नर्सिंग होम को सूची में लाल रंग से चिह्नित किया गया है, जो उनकी बिना लाइसेंस की स्थिति को दर्शाता है।
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