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Delhi Schools: अब नहीं चलेगी प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, Delhi High Court ने सुनाया बड़ा फैसला

• LAST UPDATED : April 18, 2024

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi Schools: दिल्ली हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को EWS कोटे के तहत सीटों को भरने के लिए कठोर निर्देश जारी किए हैं। अदालत की एकल बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि किसी विशेष वर्ष में केजी/प्री-प्राइमरी कक्षाओं में कोई EWS की सीटें खाली रह जाती हैं, तो अगले सत्र में निजी स्कूल को पहली कक्षा की सीटों के साथ समान संख्या में ईडब्ल्यूएस/डीजी छात्रों को दाखिला देना होगा। इस निर्देश का पालन न करने पर स्कूल को दिल्ली स्कूल शिक्षा (डीएसई) अधिनियम और दिल्ली स्कूल शिक्षा नियमों के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। न्यायाधीश एसी हरिशंकर की एक बेंच ने 8 अप्रैल को दिए गए एक फैसले में इस स्पष्टीकरण किया।

Delhi Schools: क्या थी फैसले के पीछे की वजह?

जय और तेजा, जो आर्थिक रूप से कमजोर और समाज के वंचित वर्ग से हैं, उन्होंने एक निजी स्कूल में केजी/प्री-प्राइमरी कक्षा में दाखिले के लिए आवेदन किया था। कोर्ट ने यह बात दोहराई कि आरटीई एक्ट, 2009 के सेक्शन 12(1)(c) के तहत प्रतिवादी स्कूल में दाखिले के लिए एंट्री लेवल कक्षा नर्सरी/ प्री-स्कूल होती है, केजी/प्री-प्राइमरी कक्षा नहीं। और यह भी स्पष्ट हो गया कि निजी स्कूल में EWS में दाखिले के लिए उन सीटों को शामिल किया जाएगा जो 2022 में खाली रह गई थीं| उन्हें अगले सत्र की सीटों को पहले सीटों के साथ मिलाया जाना चाहिए।

स्कूल ने क्या शिकायत की थी?

एक निजी स्कूल ने अपनी सीटों में EWS कोटा के अंतर्गत स्थान देने की योजना को लेकर नवंबर 2022 में शिक्षा निदेशालय को शिकायत की थी। उसने कहा कि पिछले पांच सालों से स्कूल की सामान्य वर्ग की सीटें पूरी नहीं हो रही हैं, इसलिए अब EWS सीटों की संख्या को कम कर दिया जाए। उसने 5 सीटों तक का अनुरोध किया। कोर्ट ने इस बात की पुष्टि की कि स्कूल ने अपने अनुरोध को केवल एंट्री लेवल क्लास के संबंध में ही किया था, केजी और प्री-प्राइमरी क्लास के संबंध में नहीं। इसके बाद, डीओई ने मौजूदा सत्र 2023-24 के लिए जारी की गई सीटों की लिस्ट में संशोधन के लिए 18 जनवरी तक का समय दिया था। जब तक कोई आपत्ति नहीं आई, उस संख्या को मान्यता मिल गई।

फिर, 3 मार्च 2023 को, डीओई ने ड्रा किया, जिसमें चयनित छात्रों को केजी और प्री-प्राइमरी कक्षाओं में दाखिले की अनुमति दी गई। प्रतिवादी स्कूल ने इन छात्रों को दाखिला नहीं दिया, जिसके परिणामस्वरूप हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत के रूप में उन्हें स्कूल में प्राविजनल दाखिला देने का आदेश दिया। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने यह दावा किया कि क्योंकि स्कूल ने समय पर सीटों को कम करने का अनुरोध नहीं किया, उसे ड्रा के परिणामों के अनुसार दाखिले देने की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए।

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