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High Court: अवैध निर्माण पर HC ने MCD को लगायी फटकार, कहा ‘अवैध निर्माण होने ही क्यों देते हो…’

• LAST UPDATED : May 10, 2024

India News Delhi(इंडिया न्यूज़), High Court: अवैध निर्माण को रोकने में दिल्ली हाईकोर्ट ने MCD को दोषी मानते हुए कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि अगर अवैध निर्माण के आरोपों की आड़ में कोई रंगदारी कर रहा है, तो इसके लिए MCD जिम्मेदार है। वकील के जरिए एमसीडी तक अपनी नाराजगी पहुंचाते हुए, एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पी एस अरोड़ा की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट के सामने बैक टू बैक ऐसे मामले लगे हैं जिनमें अवैध निर्माण का मुद्दा है। हर दिन ऐसा होता है। उनके मुताबिक यह काम उनका नहीं है। पर हाईकोर्ट के सामने ये मामले इसीलिए आते हैं क्योंकि एमसीडी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होती।

High Court: हाई कोर्ट ने लगायी फटकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने निगम से सवाल करते हुए कहा कि वह अवैध निर्माण को पनपने क्यों देते हैं। उन्होंने निगम को जिम्मेदार ठहराया कि अगर प्रॉपर्टी को जबरन वसूली के लिए निशाना बनाया जा रहा है, तो इसके लिए उन्हीं को जिम्मेदार ठहराया जाए। कोर्ट ने एमसीडी और संबंधित अधिकारियों की निष्क्रियता का भी सवाल उठाया, कहते हुए कि उनकी वजह से अवैध निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है। कोर्ट ने प्राधिकारियों से पूछा कि क्यों किसी तीसरे पक्ष को बताना पड़े कि अवैध निर्माण हो रहा है। वे अधिकारी क्यों नहीं जाकर खुद चेक करते कि कहीं अवैध निर्माण तो नहीं हो रहा?

कोर्ट ने पूछा ये सवाल

एमसीडी और हाईकोर्ट के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। हाईकोर्ट ने हाल ही में एमसीडी के अधिकारियों से कहा कि उन्हें बताने का अवसर दें कि कब उन्होंने संबंधित क्षेत्र में काम रोकने के लिए वर्क स्टॉप नोटिस जारी किया। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो कोर्ट ने धमकी दी कि उन्हें एमसीडी के कमिश्नर को कोर्ट में बुलाकर सवाल करने की सूचना दी जाएगी। यह समीक्षा हाईकोर्ट की ओर से एमसीडी के कामकाज की प्रभावी निगरानी के लिए की जा रही है।

High Court: कोर्ट ने की ये टिप्पणी

एक प्रॉपर्टी के संबंध में अवैध निर्माण के मामले में हाईकोर्ट ने विवाद को गंभीरता से लिया और सुनवाई को लंच ब्रेक तक के लिए ठप्प कर दिया। कोर्ट ने अवैध निर्माण के आरोपों को सुनने के बाद ध्यान दिया कि विवादित प्रॉपर्टी में निर्माण कार्य पहले ही पूरा हो चुका था, जिससे कोर्ट को आपत्ति हुई।

इस मामले में कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए उठाए गए सवाल की महत्वकांक्षा की, जिसमें एमसीडी को उनके कामकाज की विवेकानंद निगरानी की आवश्यकता दिखाई गई। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में एमसीडी को दोनों ही पक्षों के लाभ का ध्यान रखना चाहिए, चाहे तो वह अवैध निर्माण को गिराने की कोशिश करे या फिर उसे होने देने की दिशा में कदम उठाए।

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