India News Delhi (इंडिया न्यूज़) , Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज यानी शनिवार को किया जाएगा। इसके साथ ही राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का भी ऐलान किया जाएगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनमें ओडिशा, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। तारीखों के ऐलान के बाद ही देशभर में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि यह आचार संहिता क्या है, इसे कौन लागू करता है, इसके लागू होने के बाद किन चीजों पर रोक लगती है और क्या करने की इजाजत होती है।
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं। इन नियमों को आचार संहिता कहा जाता है। आचार संहिता के तहत बताया जाता है कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को क्या करना है और क्या नहीं करना है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को शांतिपूर्ण चुनाव के लिए आचार संहिता का पालन करने के लिए मजबूर कर सकता है। आचार संहिता पहली बार 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में लागू की गई थी।
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को इन नियमों के बारे में पहली बार 1962 में लोकसभा चुनाव के दौरान सूचित किया था। आचार संहिता की व्यवस्था 1967 से लागू हुई। लोकसभा और विधानसभा चुनाव। चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को सरकार के नहीं बल्कि चुनाव आयोग के कर्मचारी के रूप में काम करना होता है। चुनाव ख़त्म होने के बाद आचार संहिता हट जाती है।
सरकारी खर्च पर मंत्री चुनावी रैलियां नहीं कर सकते। इस दौरान मंत्री भी अपने आवास से कार्यालय तक जाने के लिए सरकारी वाहनों का ही उपयोग कर सकते हैं। इनका इस्तेमाल चुनावी रैलियों और दौरों के लिए नहीं किया जा सकता।
आचार संहिता लागू होने के बाद जनता के पैसे का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकेगा, जिससे किसी राजनीतिक दल को फायदा हो। सभी प्रकार के कार्यक्रम जैसे सरकारी घोषणाएं, उद्घाटन, शिलान्यास आदि आयोजित नहीं किए जा सकेंगे। लेकिन अगर कोई काम शुरू हो चुका है तो उसे जारी रखा जा सकता है।
मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या किसी भी धार्मिक स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता।
आचार संहिता के तहत सरकार किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं कर सकती। मान लीजिए अगर ट्रांसफर बहुत जरूरी है तो चुनाव आयोग से इजाजत लेना जरूरी है।
सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने, जुलूस निकालने और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने से पहले स्थानीय पुलिस अधिकारियों से लिखित अनुमति लेना जरूरी है।
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तो अगर कोई राजनीतिक दल या उसका उम्मीदवार आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो उसे चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित किया जा सकता है। उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। जरूरत पड़ने पर उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा सकता है। और जेल भी भेजा जा सकता है।
आचार संहिता सिर्फ राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों तक ही सीमित नहीं है। ये बात आम आदमी पर भी लागू होती है। मतलब अगर कोई अपने किसी नेता के लिए प्रचार में लगा है तो उसे भी इन नियमों का पालन करना होगा। अगर कोई राजनेता आपसे ऊपर बताए गए नियमों की अनदेखी कर कोई काम करने के लिए कहता है तो आप उसे आचार संहिता के नियम-कायदों के बारे में बताकर मना कर सकते हैं। अगर कोई प्रचार करता पकड़ा गया तो कार्रवाई हो सकती है।
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