India News Delhi (इंडिया न्यूज), President: अनुच्छेद 356 का अर्थ है किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना। अर्थात ऐसी स्थिति में राज्य का शासन राष्ट्रपति और उस राज्य के राज्यपाल द्वारा किया जाता है। अब तक इसका प्रयोग लगभग सभी भारतीय राज्यों (छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को छोड़कर) में एक या अधिक बार किया जा चुका है। भारत में राष्ट्रपति शासन सबसे पहले 1951 में पंजाब में लगाया गया था। कुछ कारणों से देश में कई बार राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है। जिसके बाद राज्य की जिम्मेदारी उस राज्य की सरकार के हाथ में नहीं रह जाती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसी स्थिति में राज्य की जिम्मेदारी किसके हाथ में आ जाती है? अगर नहीं तो आइए जानते हैं।
दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत ही किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। राज्य में राष्ट्रपति शासन दो तरह से लगाया जा सकता है। पहला यह कि जब राज्य में किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं हो और गठबंधन सरकार काम नहीं कर पा रही हो या राज्य सरकार संविधान के मुताबिक काम नहीं कर पा रही हो, तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करते हैं। कर सकता है। इसके अलावा राज्य में संवैधानिक मशीनरी के पूरी तरह विफल होने की स्थिति में केंद्र सरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगा सकती है।
राष्ट्रपति किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला कैबिनेट की सहमति से लेता है, लेकिन राष्ट्रपति शासन लगने के 2 महीने के भीतर इसे संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से मंजूरी लेनी होती है। यदि उस समय लोकसभा भंग हो जाती है तो इसे राज्यसभा में मंजूरी दी जाती है और फिर लोकसभा के गठन के एक महीने के भीतर इसे वहां भी मंजूरी देनी होती है। दोनों सदनों से मंजूरी मिलने पर राष्ट्रपति शासन 6 महीने तक चलता है। इसे 6 महीने से 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
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जब राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है तो मंत्रिपरिषद भंग हो जाती है। ऐसी स्थिति में राज्य की सारी शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास आ जाती हैं। राष्ट्रपति के आदेश पर राज्यपाल राज्य के मुख्य सचिव और अन्य सलाहकारों या प्रशासकों की मदद से कार्य करता है। इसके अलावा यदि राष्ट्रपति चाहे तो यह भी घोषणा कर सकता है कि संसद राज्य विधानमंडल की शक्तियों का प्रयोग करेगी। ऐसी स्थिति में, संसद ही राज्य के विधेयक और बजट प्रस्ताव को पारित करती है।
अनुच्छेद 356 को हम सरल भाषा में राष्ट्रपति शासन के नाम से जानते हैं। इसके तहत किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता या उल्लंघन की स्थिति में सरकार को भंग किया जा सकता है। किसी राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं।
आमतौर पर यह 6 महीने के लिए लगाया जाता है लेकिन अगर राज्य में स्थिति सामान्य नहीं होती है तो इसे अधिकतम 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है। जिस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, वहां पूरी व्यवस्था सीधे राष्ट्रपति के हाथ में आ जाती है।
लेकिन राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करता है, तो इसका मतलब यह है कि यहां का पूरा शासन केंद्र के हाथों में आता है। राष्ट्रपति शासन कभी भी हटाया जा सकता है।
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