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Safdarjung Tomb: ASI ने बदला था सफदरजंग के मकबरे के मेन गेट का रंग, जाने किस विवाद के चलते फिरसे बदलेगा रंग

• LAST UPDATED : May 8, 2024

India News Delhi(इंडिया न्यूज़), Safdarjung Tomb: सफदरजंग के मकबरे के मुख्य द्वार को हाल ही में सुंदरता से सजाया गया था। इस नवीनीकरण के दौरान, गेट पर बनी आर्च में सुनहरा रंग चढ़ाया गया था, जिससे दिन के समय इसकी खूबसूरती में और चार चाँद लग गए थे। लेकिन एक विवाद के चलते, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने प्रोजेक्ट को रद्द करने का निर्णय लिया है।

विवाद के माध्यम से, इस मुख्य द्वार पर किये गए प्लास्टर और पेंटिंग को हटाने के निर्देश दिए गए हैं। अब, इसे पुनः असली ढांचे में लाने का काम चल रहा है। ASI के दिल्ली मंडल के अधीक्षक प्रवीण सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट के पहले रूप से मकबरे की ओरिजिनलिटी को प्रभावित किया जा रहा था, इसलिए इसे रद्द कर दिया गया है।मकबरे के संरक्षण के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जैसा कि मकबरे में आजादी के बाद सबसे बड़े स्तर पर संरक्षण कार्य चल रहा है।

Safdarjung Tomb: संरक्षण कार्य के लिए किया गया था रंग

सम्राट अकबर की मकबरे, सफदरजंग में हाल ही में संरक्षण कार्य के दौरान मुख्य द्वार को सुंदरता से सजाया गया था। गेट पर बनी आर्च में सुनहरा रंग लगाया गया था, जिससे दिन के समय मकबरे की खूबसूरती में और भी चार चाँद लग गए थे। साथ ही, मकबरे की रोशनी की व्यवस्था की गई और इसे शाम के समय दो घंटे के लिए जनता के लिए खोला गया था, जिससे इसकी भव्यता का परिचय हो सके। यह संरक्षण कार्य चार सालों से चल रहा था, जिसमें सम्राट के मकबरे के मुख्य गुंबद के संगमरमर के पत्थर बदले गए थे, जो खराब हो चुके थे।

इसके अलावा, स्मारक के लगभग हर भाग में संरक्षण कार्य किया गया है, जिसमें कुछ स्थानों पर बारीक काम वाली जालियां बदली गई हैं और टूटी फुटी जगहों को ठीक किया गया है। मुख्य द्वार पर लगे रंग को हटाया जा रहा है, जिसमें कुछ पुरातत्व प्रेमियों ने आपत्ति जताई थी, ताकि यह स्मारक अपनी महत्वपूर्ण ओरिजिनलिटी बनाए रख सके।

जानिए मकबरे का इतिहास

यह इतिहास का एक महत्वपूर्ण पन्ना है। इस मकबरे के नाम से जुड़े भ्रम को दूर करते हुए उज्जवल हुआ कि सफदरजंग कोई बादशाह नहीं थे, बल्कि वह मुगल साम्राज्य के प्रमुख मंत्री थे। सफदरजंग का जन्म 1708 में ईरान के निशापुर में हुआ था और उनकी मृत्यु 1754 में सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में हुई थी। उनका पूरा नाम अब्दुल मंसूर मुकीम अली खान मिर्जा मुहम्मद सफदरजंग था। वह सूबेदार और उपाध्यक्ष के रूप में काम किए थे और बाद में वे मुगल साम्राज्य के अधीन पूरे देश के प्रधानमंत्री बने। इस मकबरे का निर्माण उनके पुत्र अवध के नवाब शुजाउद्दौला खान ने 1754 में कराया था।

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