India News Delhi(इंडिया न्यूज़), Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज इलाके में पेड़ों की कटाई को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आवश्यकता पर केंद्रित न करके पेड़ों की कटाई नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एजेंसियों को उनकी जिम्मेदारियों को लेकर फटकारा लगाया और उन्हें यह याद दिलाया कि कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान ही भारत सरकार के डीजी फॉरेस्ट और दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट को भी अवमानना का नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने अगले आदेशों तक छतरपुर स्थित दक्षिणी रिज और मध्य दिल्ली में बुद्ध जयंती पार्क के पास पेड़ कटाई और सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाई है। फिलहाल इस मामले में एजेंसियों को यथास्थिति बरकरार रखने को भी कहा गया है।
अदालत में याचिकाकर्ता द्वारा पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने विचार प्रकट किया कि अनुमति के बिना कैसे कटिंग की जा सकती है? उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि एक मध्य रिज और एक दक्षिणी रिज मौजूद हैं। लोधी गार्डन के अतिरिक्त, दिल्ली में फिर भी वहां का एकमात्र ‘फेफड़ा’ बचा है। उन्होंने पूछताछ में यह भी उजागर किया कि यदि आप कुछ सड़कों की विस्तार की कटौती करते रहेंगे, तो समस्या कैसे हल होगी? सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में दोनों मामलों में अवमानना नोटिस जारी किया है और DDA वाइस चेयरमैन और CPWD को 14 मई को अदालत में प्रस्तुत होने के लिए निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी गई है, जिसमें केंद्रीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने दिल्ली विकास प्राधिकरण के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, सीईसी ने दक्षिणी दिल्ली के रिज क्षेत्र में अवैध निर्माण और कटाई के मामले में अदालत के निर्देशों का उल्लंघन किया था। पिछले साल दिसंबर में, दिल्ली विकास प्राधिकरण ने मुख्य छतरपुर रोड से सार्क विश्वविद्यालय तक एक सड़क के निर्माण के लिए रिज वाली भूमि आवंटित की थी, जो कानूनी धाराओं का उल्लंघन करके किया गया था।
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