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Iran Israel War: युद्ध कितना नुकसान झेलती है दुनिया? पहले विश्वयुद्ध के नुकसान जान लीजिए

• LAST UPDATED : April 14, 2024

India News Delhi (इंडिया न्यूज), Iran Israel War: युद्ध के कारण पूरी दुनिया को नुकसान होता है। हम सबसे पहले उस नुकसान को देखते हैं जो सीधे तौर पर प्रभावित करता है, जैसे लोगों की मौत और अर्थव्यवस्था की बर्बादी। लेकिन युद्ध से हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। युद्ध के बाद कई जगहें रहने लायक नहीं रह जाती हैं। ज़मीन बंजर हो जाती हैं! युद्ध शुरू होते ही, ध्यान सबसे पहले प्रभावित लोगों पर जाता है, लेकिन युद्ध के बाद भी समस्याएं खत्म नहीं होतीं। युद्ध पर्यावरण को तहस-नहस कर देता है।

तोपों के हमलों, राकेटों और बारूदी सुरंगों से प्रदूषक निकलते हैं, जिनसे जंगल तबाह हो जाते हैं और कृषि भूमि बेकार हो जाती है। विभिन्न जगहों में गृह युद्ध, आक्रमण और संघर्ष से व्यक्ति प्रभावित हुआ है। इस समय लगभग युद्ध का दौर चरम पर है, जिसका सीमांत करना जरूरी है। युद्ध से होने वाले नुकसान को देखते समय हमें पर्यावरण को होने वाली क्षति का ध्यान भी देना चाहिए।

Iran Israel War: स्वस्थ पर बुरा असर!

युद्ध की वजह से लोगो के जीवन और पर्यावरण पर गहरा असर होता हैं| इसकी वजह से हमारे और अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रासायनिक और अन्य हथियारों से होने वाला प्रदूषण जहर के तौर पर पर्यावरण में बना रहता है। विस्फोटकों से निकलने वाले यूरेनियम प्रदूषक काफी समय तक लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। सेना की आवाजाही और बुनियादी ढांचे की क्षति से परिदृश्य और खराब हो जाता है। संघर्षों से हुआ नुकसान आपके अनुमान से कहीं अधिक समय तक रहता हैं।

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फ्रांस का रेड जोन!

फ्रांस में प्रथम विश्व युद्ध के समय कुछ भूमि ऐसी भी थी जो एक दम बंजर हो गयी थी! न तो वह कोई रह पाया न ही वह खेतीबाड़ी हो पायी। आज भी उस क्षेत्र में कोई नहीं रहता हैं! उस जगह को अब रेड जोन कहा जाता है। युद्ध के बाद भी कुछ प्रभाव ऐसे होते है जो अपनी चाप चोदे जाते हैं। जैसे- जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध आगे बढ़ रहा है, गंभीर वायु प्रदूषण, वनों की कटाई और मिट्टी का क्षरण बढ़ गया है। संघर्ष के चलते रहने के ठिकानों को नुकसान होता है और जैव विविधता में गिरावट आती है।

यूक्रेन में मिली थी बारूदी सुरंग! 

1946 से 2010 के बीच, सशस्त्र संघर्ष से प्रभावित अफ्रीकी देशों में वन्य जीवन में उल्लेखनीय गिरावट आई थी। युद्ध के दौरान बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल खासतौर पर बहुत हानिकारक होता है, क्योंकि ये तब तक अपनी जगह कायम रहती हैं, जब तक की उन्हें छूने से विस्फोट न हो जाए। युद्ध समाप्त होने के काफी समय बाद भी, वे लोगों या जानवरों की मौत का कारण बन सकती हैं। लीबिया, यूक्रेन, लेबनान और बोस्निया हर्जेगोविना में बाढ़ का पानी गुजरने के बाद जमीन के नीचे बारूदी सुरंग होने का पता चला है।

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Iran Israel War: पितचे विश्व में और क्या क्या मिला? 

बहुत से विस्फोटक होते हैं, जो थोड़े समय की तीव्र गर्मी को तो बर्दाश्त कर लेते हैं, लेकिन जब तापमान उच्च रहता है, तो वे खुद ही फट जाते हैं। इसी कारण, युद्ध के अंत में, हथियार समुद्र में डाल दिए जाते हैं। यह एक समय लोकप्रिय समाधान था, लेकिन इससे पैदा होने वाला खतरा अब भी मौजूद है। प्राकृतिक समुद्री खाई में बिखरे हुए युद्ध सामग्री का बड़ा हिस्सा अभी भी पाया जा सकता है। ये हथियार अक्सर जलवायु परिवर्तन के लिए एक बड़ा खतरा बनते हैं।

उत्तरी आयरलैंड और स्कॉटलैंड के बीच समुद्री खाई में 10 लाख टन से अधिक युद्ध सामग्री मिली थी, जो कई वर्षों तक समुद्र के नीचे छिपी रही। इन सामग्रियों के संबंध में, हर साल नुकसान होता है, जैसे कि मछुआरों को बाढ़ के दौरान सावधानी बरतनी पड़ती है। यह एक महत्वपूर्ण समस्या है, जो हमें युद्ध और पर्यावरणीय नुकसान के बीच विनाशकारी संबंध के प्रति सचेत बनाने के लिए प्रेरित करती है।

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