India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Indian Railways: भारतीय रेलवे, जो दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल व्यवस्था है, ने सफर करने वालों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करते हुए अपने सेवाओं को और अच्छा किया है। रोजाना करीबन 3 करोड़ यात्री भारतीय रेलवे के साथ सफर करते हैं, जिससे रेलवे को विश्वासयोग्यता और सफलता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मिलता है। हालांकि, अपनी सफलता के बावजूद, रेलवे के कुछ क्षेत्रों में अभी भी समस्याएं बनी रहती हैं।
चोरी और लूटपाट के मामले इसमें एक प्रमुख समस्या हैं, जिसके निदान के लिए रेलवे को और मजबूती से काम करना होगा। अभी हाल ही में, यह मामला चर्चा का केंद्र बना है, जब एक यात्री का सामान रेलवे में चोरी हो गया था। क्या इस मामले में रेलवे जिम्मेदार है, या फिर इसके लिए यात्री ही जिम्मेदार हैं, इस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
यदि कोई यात्री आरक्षित डिब्बे में सफर कर रहा है और उसका सामान चोरी हो जाता है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी रेलवे की होगी। जब किसी यात्री को आरक्षित डिब्बे में सामान के साथ सुरक्षित सफर करने का वायदा किया जाता है, तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ट्रेन टिकट इंस्पेक्टर (टीटीई) और कोच अटेंडेंट की होती है। यह उनका नियमित कार्यक्षेत्र है और उन्हें इसे पूरा करने की जिम्मेदारी होती है।
अगर कोई असामाजिक तत्व या संदिग्ध व्यक्ति कोच में प्रवेश करके सामान चोरी करता है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी रेलवे नहीं उठता है। इसमें रेलवे का कोई नियम नहीं है और न ही किसी कानूनी दायित्व है। इस संबंध में, कंज्यूमर कोर्ट ने अपने फैसलों में यात्री के पक्ष में न्याय की बात कही है। इससे स्पष्ट होता है कि यदि कोई यात्री रेलवे के सुरक्षा व्यवस्था में भरोसा करता है और फिर भी उसका सामान चोरी होता है, तो उसे रेलवे के प्रति न्याय मिलना चाहिए।
पिछले साल, चंडीगढ़ के एक युवक के साथ यही हादसा हुआ था। उन्हें ट्रेन के आरक्षित कोच में लूटपाट का शिकार बनाया गया था। इस मामले को लेकर कंज्यूमर फोरम ने रेलवे को आदेश दिया कि रेलवे को यात्री को मिलने वाली राशि का वापसी करनी होगी, साथ ही उसे ₹50,000 का कंपनसेशन भी देना होगा। कंज्यूमर फोरम के अपने फैसले में कहा गया है कि “रिजर्व कोच में अनाधिकृत लोगों का प्रवेश रोकना टीटीई और अटैंडेंट की जिम्मेदारी है। अगर उनकी लापरवाही से यात्री को नुकसान होता है, तो इसके लिए रेलवे जिम्मेदार है।”
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