Friday, July 5, 2024
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भारत के इस शहर में नहाने-धोने के लिए भी नहीं बचा पानी! आखिर कैसे हुआ ये हाल

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Bangalore water crisis : पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक की राजधानी और हमारे आईटी सेक्टर का केंद्र बेंगलुरु पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। पानी की समस्या अब राजस्थान के बाड़मेर के एक गांव जैसी हो गई है। पानी की कमी के कारण लोग न सिर्फ घर से बल्कि अपने मूल स्थान से भी काम मांग रहे हैं।

हालात इतने खराब हैं कि सोसायटी के सदस्यों ने स्टील के बर्तनों की जगह डिस्पोजल बर्तनों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है, स्विमिंग पूल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। पानी का दुरुपयोग करने पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। लोग गैप लेकर नहा रहे हैं, कपड़े धोना तो दूर की बात है।

अब बेंगलुरु की मौजूदा तस्वीर क्या है ये तो आप जानते हैं, लेकिन सवाल ये है कि ऐसा क्या हुआ कि बेंगलुरु में पानी की कमी हो गई है। कमी इतनी है कि लोग शहर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं और ऑफिस से घर से काम की मांग कर रहे हैं, तो क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है?

कितना बदल गया बेंगलुरु?

बेंगलुरु में घटती हरियाली और जल प्रसार क्षेत्र को लेकर भारतीय विज्ञान संस्थान ने बताया है कि पिछले 50 सालों में बेंगलुरु कितना बदल गया है। इस रिपोर्ट से पता चला है कि वर्ष 1973 में जल प्रसार क्षेत्र 2,324 हेक्टेयर हुआ करता था, जो अब 2023 में घटकर केवल 696 हेक्टेयर रह गया है। बेंगलुरु में लगातार गिरते भूजल स्तर का यह एक महत्वपूर्ण कारण है।

कंक्रीट के जंगल लगातार बनने से पानी के लिए जगह कम हो गई है और यही बाढ़ जैसी स्थितियों के लिए जिम्मेदार है। रिपोर्ट के अनुसार, 98 प्रतिशत झीलों का अतिक्रमण हो चुका है और शेष जल निकाय सीवेज और औद्योगिक कचरे से भरे हुए हैं। चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि वर्ष 1973 में निर्मित क्षेत्र मात्र 8 प्रतिशत था और 2023 में यह बढ़कर 93.3 प्रतिशत हो गया है।

ये आंकड़ा ही बताता है कि बेंगलुरु में किस तरह पानी की कमी हो रही है और इसकी वजह क्या है। इसके साथ ही अहम वजह यहां की लगातार बढ़ती आबादी भी है। दरअसल, कुछ सालों में यहां की आबादी 45 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है और 80 लाख की आबादी वाला बेंगलुरु अब 1.5 करोड़ की आबादी का बोझ उठा रहा है.

क्या है अभी के हालात?

फिलहाल, बेंगलुरु की आबादी करीब 1.40 करोड़ है और रोजाना पानी की खपत 260 से 280 करोड़ लीटर है। लेकिन इसकी सप्लाई सिर्फ 100 से 120 करोड़ लीटर ही है। कावेरी नदी के अलावा यहां पानी का बोरवेल से आता है, लेकिन 3000 से ज्यादा बोरवेल सुखे पड़े है। आपको बता दें कि पानी की कमी का कारण अपर्याप्त बारिश, भूजल स्तर में कमी और अनियोजित बुनियादी ढांचा बताया जा रहा है।

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