India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Viral: लोग अपने सपनो के लिए क्या कुछ नहीं करते आज एक ऐसी ही कहानी सामने आई है जिसको देख कर आप भी कहेंगे वाह क्या बात है। हर एक छात्र अपना सपना पुरा करने के लिए क्या कुछ नही करते। बहुत से बच्चे अपने सपने को पुरा करने के लिए घर से भी दुर चले जाते है। और कई बच्चे तो ऐसे होते है जो पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जोब भी करते है। आज हम आपको ऐसे एक जानकारी देंने जिसको सुन आप भी तारीफ करने पर मजबुर हो जाएंगे। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा यह वीडियो डिलीवरी बॉय के काम के दौरान पढ़ाई के प्रति समर्पण को दर्शाता है। ट्रैफिक जाम के शोर के बावजूद डिलीवरी बॉय अपने पढ़ाई के वीडियो पर ध्यान लगाए हुए है। डिलीवरी बॉय ने फोन को संभालकर रखा है और आराम से वीडियो देख रहा है।
ट्रैफिक में पढ़ाई करता नजर आया डिलीवरी बॉय
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे डिलीवरी बॉय के वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि इस वीडियो को देखने के बाद आपको पढ़ाई के अलावा किसी और प्रेरणा की जरूरत पड़ेगी। इस वीडियो को पोस्ट करने के बाद से अब तक 57 हजार से ज्यादा लोग इसे देख चुके हैं। वीडियो देखकर प्रेरित होने के बाद यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
After Watching this video, I Don't Think you Have any Other Motivation to Study Hard#UPSC #Motivation pic.twitter.com/BPykMKBsua
— Ayussh Sanghi (@ayusshsanghi) March 29, 2024
यूजर्स ने किए कमेंट
इस वीडियो पर एक यूजर ने लिखा कि यह वीडियो काफी प्रेरणादायक है। दूसरे यूजर ने लिखा कि यह वीडियो मुझे पहले से ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है। कई यूजर्स जहां डिलीवरी बॉय की पढ़ाई के प्रति लगन की तारीफ कर रहे हैं, वहीं कई यूजर्स ने इसके विपरीत तरीके से अपनी राय दी। एक यूजर ने कहा कि यह एक बीमारी बन गई है। दूसरे यूजर ने कहा कि यह प्रेरणा नहीं बल्कि दुर्घटना का कारण भी बन सकती है। इससे दुर्घटना हो सकती है। ज्यादातर यूजर्स ने इस चुनौतीपूर्ण माहौल में डिलीवरी बॉय की अपने काम और पढ़ाई के प्रति लगन की तारीफ की।
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मुखर्जी नगर की ये खास कहानी
दरअसल मुखर्जी नगर हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग का हब है। यहां कोचिंग का पूरा बाजार है। यहां कई इमारतें हैं जो अंधेरे से घिरी हुई हैं। यहां सीढ़ियां इतनी अंधेरी हैं कि छात्र अपने मोबाइल की लाइट जलाकर ही चढ़ते हैं। इसके अलावा सीढ़ियां इतनी संकरी हैं कि अगर दो लोग वहां खड़े हो जाएं तो सब कुछ बंद हो जाता है। कक्षाएं भले ही बढ़िया हों लेकिन ये कक्षाएं अंधेरे को चीरकर ही मिलती हैं। फिर कोचिंग की तो बात ही अलग है। ये लोग लगातार नए हॉल और नई शाखाएं लॉन्च करते रहते हैं। न तो ये किसी छात्र को जीएसटी बिल देते हैं और न ही सुरक्षा की गारंटी देते हैं।
छात्रों का जीवन मुश्किलों से है भरा
मुखर्जी नगर माचिस की डिब्बी की तरह है। यहां लोगों ने अपनी रसोई तक किराए पर दे दी है। यहां के नेहरू विहार, गांधी विहार, इंदिरा विकास और परमानंद कॉलोनी की स्थिति यह है कि यहां 25-25 गज के पांच मंजिला मकान बने हुए हैं। इनमें से एक में मकान मालिक रहता है और बाकी में बच्चे रहते हैं। कुछ लोगों ने तो छठी मंजिल पर अस्थायी कमरा बनाकर उसे किराए पर दे दिया है, जबकि उन्हें इसकी अनुमति नहीं है। सीढ़ियां इतनी सीधी हैं कि अगर आप एक बार फिसले तो दो मंजिल नीचे गिर जाएंगे।
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