जांच में पाया गया है कि भारत में बिकने वाले सभी 15 सेरेलैक बेबी प्रोडक्ट्स में लगभग 3 ग्राम चीनी होती है। अफ्रीका में इथियोपिया और एशिया में थाईलैंड जैसे देशों में 6 ग्राम तक चीनी पाई गई है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जब वही उत्पाद जर्मनी और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में बेचे जाते हैं, तो उनमें चीनी नहीं होती है।
नेस्ले की चतुराई इस बात से भी जाहिर होती है कि वह अक्सर उत्पाद की पैकेजिंग पर यह जानकारी नहीं देती कि उसमें कितनी चीनी है। रिपोर्ट में कहा गया है, नेस्ले अपने उत्पादों में मौजूद विटामिन अन्य तत्वों के बारे में जानकारी प्रदान करती है, लेकिन जब अतिरिक्त चीनी की बात आती है, तो यह बिल्कुल भी पारदर्शी नहीं है। नेस्ले ने 2022 तक भारत में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है। सेरेलैक उत्पाद रुपये से अधिक मूल्य का
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के उत्पादों में चीनी मिलाना खतरनाक है। इससे बच्चों में चीनी खाने की आदत विकसित हो सकती है। शिशुओं और छोटे बच्चों को दिए जाने वाले खाने के प्रोडक्ट में चीनी नहीं मिलानी चाहिए, क्योंकि यह अनावश्यक और अत्यधिक नशीला होता है। इससे बच्चों में मीठा खाने की आदत विकसित हो जाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि WHO ने चेतावनी दी है कि कम उम्र में जन्म लेने वाले बच्चों में चीनी के संपर्क में आने से जीवन भर चीनी प्रोडक्ट को प्राथमिकता दी जा सकती है, जिससे मोटापा और अन्य पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
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