India News Delhi(इंडिया न्यूज़), Arvind Kejriwal in Tihar Jail: अपराधियों को सजा देने और उनको ठीक करें के लिए जेल बनाया गया था। वही अगर बात भारत की नहीं बल्कि साउथ ईस्ट एशिया की सबसे बड़ी जेल की बात करें तो तिहाड़ जेल है।
जेल का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में अपराधियों का नाम सामने आता है, लेकिन ये जानकर आप हैरानी हो जायेंगे कि तिहाड़ के कैदियों के हाथों का नरम स्वाद बड़े-बड़े लोगों के दिल को छू लेती है। तिहाड़ जेल की प्रशासन कई कैदियों को स्किल्ड (skilled) वर्कर बना देती है। वो बहार निकलने के बात अच्छे से जीवन जीते है।
तिहाड़ जेल सूत्रों के मुताबिक, अभी यह तय नहीं है कि केजरीवाल को तिहाड़ की किस बैरक में रखा जाएगा। कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह को जेल नंबर दो से जेल नंबर पांच में शिफ्ट किया गया है। मनीष सिसौदिया को जेल नंबर एक में रखा गया है।
वहीं, सतेंद्र जैन को तिहाड़ जेल की जेल नंबर सात में रखा गया है। का। कविता को लेडी जेल नंबर 6 में रखा गया है। बता दें कि तिहाड़ जेल में कुल नौ जेल हैं, जिनमें करीब 12000 कैदी हैं।
यह जेल दशकों पुरानी है और इसका एक विशेष इतिहास और महत्व है। देश के कई बड़े और शातिर अपराधी तिहाड़ में अपने कर्मों की सजा काट रहे हैं। हमारे मन में सवाल आया कि इस जेल का नाम तिहाड़ क्यों रखा गया, थोड़ी रिसर्च करने पर पता चला कि तिहाड़ जेल का निर्माण देश की आजादी के 10 साल बाद 1957 में हुआ था।
दिल्ली के तिहाड़ गांव के नाम पर जेल का नाम तिहाड़ रखा गया। बाद में जेल का विस्तार होता गया और पूरे गाँव क्षेत्र में फैल गया। अब इस जेल के आसपास कोई गांव नहीं है, लेकिन इसका नाम आज भी गांव के नाम पर ही रखा गया है। इस जेल को तिहाड़ आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।
मुख्य जेलों में 9 जेलें हैं और जब हम कुछ जेलों में गए तो देखा कि कैदी दिवाली की तैयारियों में व्यस्त थे, कहीं महिला जेल में दीये और मोमबत्तियाँ बनाई जा रही थीं और कई महिला कैदी रंगोली बना रही थीं । इसके बाद तिहाड़ की बड़ी फैक्ट्री की सभी यूनिटों का दौरा करने का फैसला किया, आपको जानकर हैरानी होगी कि तिहाड़ जेल में एक बेकरी यूनिट भी है, जिसे कैदी ही चलाते हैं।
बेकरी यूनिट में दिवाली की तैयारियां जोरों पर चल रही थीं। कैदी भाई हर दिन कई टन लट्ठू और पेठा तैयार कर रहे हैं। साथ ही यहां अचार, चिप्स और बिस्किट जैसी खाने की चीजें भी बनाई जाती हैं। बेकरी में बने ब्रेड-बिस्कुट और लड्डू-पेठे के स्वाद ने हमारा मन मोह लिया। तिहाड़ प्रशासन ने बताया कि जेल के बाहर दुकानों में ब्रेड बिस्कुट की सबसे ज्यादा बिक्री होती है।
खाने का सामान जेल के बाहर भी तिहाड़ जेल का भेजा जाता है। इस बेकरी का नाम टीजेएस यानी तिहाड़ जेल स्पेशल है। इसके बाद जब हम बढ़ईगीरी यूनिट में गए तो कैदियों की कलाकारी को देखते ही रह गए। इसके अलावा इन इकाइयों में हथकरघा, कपड़ा, कपड़े, बैग, शुद्ध सरसों का तेल, हस्तनिर्मित वस्तुएं, पेंटिंग, जूट बैग, हर्बल उत्पाद और मोमबत्तियां और लाइटें और बहुत कुछ बनाया जाता है।
न सिर्फ भारत बल्कि दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जेल मानी जाती है तिहाड़। यह जेल अन्य जेलों की तुलना में भी उन्नत है। करीब 400 एकड़ क्षेत्रफल में बनी तिहाड़ जेल को हजारों सीसीटीवी कैमरों की मदद से कवर किया गया है। यहां चप्पे-चप्पे पर दिल्ली पुलिस, सीआरपीएफ और टीएसपी तैनात हैं।
जेल का संचालन दिल्ली सरकार करती है। इस जेल को आश्रम भी कहा जाता है, क्योंकि यहां कैदियों को सही रास्ता दिखाने का काम भी किया जाता है। यहां न केवल कैदियों का सुधार किया जाता है बल्कि उनमें आत्मविश्वास जैसे गुणों का विकास किया जाता है।
जेल को मॉडल जेल बनाने की दिशा में पहला कदम आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को जाता है, उन्होंने यहां सुधार गृह खोला और कैदियों को सही रास्ता दिखाने की कोशिश की। इसका नतीजा यह हुआ कि जेल में बंद कई कैदियों को अच्छी नौकरियां मिल गईं और कुछ ने तो जेल के अंदर ही तैयारी करके यूपीएससी जैसी परीक्षा भी पास कर ली।
अब जेल के अंदर कई तरह की ट्रेनिंग भी दी जाती है। तिहाड़ के मौजूदा डीजी संजय बैनीवाल आज भी तिहाड़ में कैदियों के कल्याण के लिए कई अच्छे काम कर रहे हैं और उन्होंने जेल में दिवाली की तैयारियों को लेकर भी कई अहम बातें बताईं।
यहां 16 सेंट्रल जेलों की क्षमता तय है, लेकिन ज्यादातर जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी हैं. साल 2019 के आंकड़ों पर नजर डालें तो कई जेलों में क्षमता से चार गुना ज्यादा कैदी हैं. 2019 में पूरी जेल की क्षमता 10026 थी, लेकिन उस वक्त जेल में 17534 कैदी थे. आपको बता दें कि यहां विचाराधीन कैदियों की संख्या बहुत ज्यादा है।
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