India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Arvind Kejriwal: कानून समाज के अंदर व्यक्तियों के आचरण को रेगुलेट करने की कोशिश करता है। किसी भी अपराध को मुआवजे से खत्म नहीं किया जा सकता। दिल्ली हाई कोर्ट ने दो पार्टियों के बीच समझौते के आधार पर हत्या के प्रयास की एक एफआईआर को रद्द करने से इनकार करते हुए यह बात कही।
इसके साथ ही न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने आरोपी व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि इस फैसला का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि IPC की धारा 307 (हत्या का प्रयास) जैसा गंभीर अपराध दोहराया न जाए।
अदालत ने पारित एक आदेश में कहा कि मौजूदा मामले में एक छोटी सी बात पर याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रतिवादी के बोर्डी के महत्वपूर्ण हिस्से पर चाकू से अटैक किया था। केवल इसलिए कि प्रतिवादी को समझौते के आधार पर मुआवजा दिया गया है।
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अदालत ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखना होगा कि आपराधिक कानून सामाजिक नियंत्रण हासिल करने के लिए बनाया गया है। इसे समाज के भीतर व्यक्तियों के आचरण को रेगुलेट करने के लिए बनाया किया गया है। सिर्फ मुआवज़ा चुका देने भर से अपराध का मामला खत्म नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ताओं ने योग्यता के आधार पर आरोपों को स्वीकार किए बिना 2019 में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने इस आधार पर याचिका दायर की थी कि आरोपी और पीड़ित के बीच मामला आपसी सहयोग से सुलझा लिया गया है और पीड़ित को मुआवजा दिया गया है।
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