India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Holi 2024: यमुनापार के सात अलग-अलग इलाकों में 185 महिलाओं को स्वरोजगार मिला है। पिछले चार माह में काम शुरू होने से अब तक 8 लाख रुपये से अधिक की बिक्री हो चुकी है। फागुन की बयार में यमुना के किनारे जैविक गुलाल की खुशबू से महकने लगे हैं। यमुनापार के सात अलग-अलग इलाकों में 185 महिलाओं को स्वरोजगार मिला है। इनमें आर्थिक रूप से कमजोर, विधवा और अशिक्षित महिलाएं शामिल हैं। ये महिलाएं फल, फूल, सब्जियों और उनके छिलकों से आर्गेनिक गुलाल तैयार कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं। पिछले चार माह में काम शुरू होने से अब तक 8 लाख रुपये से अधिक की बिक्री हो चुकी है।
गुलाल बनाने की प्रक्रिया
अशोक नगर सेंटर में काम करने वाली खुशी ने बताया कि हमें जिस रंग का गुलाल तैयार करना होता है उसी रंग की सब्जियां, फल या फूल को पीसकर पेस्ट तैयार करते हैं। तैयार पेस्ट में सूखापन लाने के लिए अरारोट मिलाया जाता है। इसे दो-तीन दिन तक सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। सूती कपड़े से छानकर इसमें खुशबू के लिए आवश्यक तेल मिलाया जाता है। भगवानपुर खेड़ा की प्रभारी पिंकी ने बताया कि एक केंद्र पर एक दिन में करीब 70-75 किलो गुलाल तैयार होता है।
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तैयार किया जा रहा है आर्गेनिक गुलाल
यह जैविक गुलाल यमुनापार में शाहदरा, नंद नगरी, अशोक नगर, भगवानपुर खेड़ा, वेलकम, न्यू मॉडर्न शाहदरा और बलबीर नगर समेत कुल सात केंद्रों पर तैयार किया जा रहा है। इन सात केंद्रों में कुल 185 महिलाएं गाजर, पालक, चुकंदर, कच्ची हल्दी, संतरे के छिलके, पलाश, गेंदा जैसी विभिन्न सब्जियों, फलों और फूलों से जैविक गुलाल तैयार कर रही हैं। होली खत्म होने के बाद इन महिलाओं को त्योहार के अनुसार मोमबत्ती, दीये, मालाएं और अन्य जरूरी सामान बनाकर रोजगार दिया जाता है।
जैविक गुलाल की कीमत
50 ग्राम का पैकेट- 30 रुपये
100 ग्राम का पैकेट- 50 रुपये
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