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Online Fraud: साइबर अपराधियों के तुरंत फ्रीज होंगे खाते, जानें क्या है बैंकों का प्लान

• LAST UPDATED : April 20, 2024

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Online Fraud: बैंकों ने अपने सिस्टम को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए एक नया उपाय शुरू किया है। इसका लक्ष्य डिजिटल अपराधियों को रोकना है जो किसी व्यक्ति के बैंक खाते से पैसे चुराने की कोशिश कर रहे हैं। बैंकों ने आंतरिक मामलों के मंत्रालय की मदद से ऐसे अपराधियों के लिए एक नई प्रक्रिया शुरू की। बैंकों ने गृह मंत्रालय की इकाई नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) से जुड़ने का फैसला किया है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि किसी भी अपराधी को दूसरे खातों में पैसा ट्रांसफर करने से पहले रोक दिया जाए। ऐसे हमलों की संख्या को कम करने के लिए बैंक यह प्रस्ताव लेकर आए हैं।

Online Fraud: कैसे होती है बैंको में धोखाधड़ी

धोखाधड़ी कैसे होती है यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसका उत्तर कई बैंकों और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने देने का प्रयास किया है। धोखाधड़ी में आम तौर पर एक खाते से पैसा डेबिट करना और उसे कई बैंक खातों में स्थानांतरित करना शामिल होता है। इसलिए, धन के प्रवाह को ट्रैक करना और बंद करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस मुद्दे के समाधान के लिए, बैंक गृह मंत्रालय के एक प्रभाग, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के साथ एपीआई एकीकरण की सिफारिश की हैं। विचार यह है कि बैंकों को धोखाधड़ी के संदेह वाले खातों को स्वचालित रूप से ब्लॉक करने की अनुमति दी जाए। बैंकों को साइबर अपराध से बचाने के लिए यह एक प्रभावी उपाय है।

क्या है I4C?

I4C यानी “Indian Cyber Crime Coordination Centre” है, जो भारतीय साइबर अपराधों को रोकने और उनके खिलाफ कार्रवाई को संयोजित करने के लिए एक प्रमुख संगठन है। उनका मुख्य लक्ष्य साइबर अपराध से लड़ना और साइबर सुरक्षा में सुधार करना है। भारत सरकार द्वारा स्थापित, I4C साइबर अपराधों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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