India News (इंडिया न्यूज़), Sapind vivah: हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट नेे एक फैसला सुनाया है जिसमें सपिंड विवाह के प्रावधान की कानूनी वैधता को बरकरार रखा है। बता दें, इस पर फैसला सुनाने वाली पीठ ने कहा है कि यदि विवाह के लिए साथी के चुनने को बिना नियमों के छोड़ दिया जाए, तो अनाचारपूर्ण रिश्तों को वैधता मिल सकती है।
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये सपिंड विवाह होता क्या है। तो हमारी रिपोर्ट में विस्तार से समझें!
बता दें, सपिंड विवाह उस विवाह को कहा जाता है जब दो ऐसे लोग एक-दूसरे से विवाह कर लेेते हैं जिनका पिंड एक ही हो। जी हां आप सही पढ़ रहेे हैं, यहां पिंड का अर्थ उसी से है जो चावल श्राद्ध में पितरों को अर्पित किए जाते हैं। आसान भाषा में समझें तो सपिंड विवाह उसे कहा जाता है जहां शादी केे बंधन में बंधने वाले दो लोगों के पूर्वज एक हों। वहीँ, हिंदू मैरिज एक्ट धारा 3(f)(ii) के मुताबिक, दो लोगों को एक-दूसरे का “सपिंड” तब कहते हैं, जब दो लोगों में से एक, दूसरे का सीधा वंशज हो और वो रिश्ता सपिंड रिश्ते की सीमा के अंदर आए।
जानकारी के लिए बता दें, यदि 2 लोगों का कोई एक ऐसा सामान्य पूर्वज है जो दोनों के लिए सपिंड रिश्ते की सीमा के अंदर आए, तो उन दो लोगों के विवाह को सपिंड विवाह कहा जाएगा। इस तरह की शादी वही लोग कर सकते हैं जिनमें इस तरह शादी करने का रिवाज है और ये रिवाज लंबे समय से चला आ रहा हो। यदि ऐसा नहीं हैै और फिर भी एक जोड़ा सपिंड शादी के बंधन में बंध जाता है तो उसे हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 18 के तहत 1 महीने तक की जेल या 1000 रुपये का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।
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